Sunday, July 22, 2012


नेह, ममता, करुणा की, हैं मूर्त साकार बेटियां
देती है माँ – बहिन, पत्नी का प्यार बेटियां
रखती ख्याल सबका हैं, ये होशियार बेटियां
हैं बड़ी हिम्मती यह, नहीं मानती हैं हार बेटियां

काली, दुर्गा, सरस्वती, हैं देवियाँ हज़ार बेटियां,
आने वाली पीढ़ी को, देती है संस्कार बेटियाँ,
बेटे से कहाँ हैं कम, ये ये समझदार बेटियां,
कल्पना की उड़ान में, जा चुकी अंतरिक्ष पार बेटियां |

फिर बताओ न पापा सच-सच, क्यों नहीं करते प्यार बेटियाँ
क्यों पैदा होने से पहले ही, देते हो मार बेटियां ?
अभी धडकनें बनी थी बस, सांसें ना मिल पाई उधार बेटियां,
आँखें तक ना खुल पायीं, न देख पाई संसार बेटियां |

बेटियों ने जिन्हें जनम दिया, उन्हें ही नहीं स्वीकार बेटियां,
कौन सा यह न्याय है, क्यों जुल्म की शिकार बेटियां,
कैसे कहे किससे कहे, ये अजन्मी मूक – लाचार बेटियां ?
बस लड़ रही खुदा से वह, क्यों बनाया तूने परवरदिगार बेटियां ?

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