Thursday, July 22, 2010


घर आँगन मे च ह -चाहती है .न प्यारी बेटिया .

चिडियों जैसे इधर - उधर उडती फिरती है .न प्यारी बेटिया .


एक आह के साथ जनम लेती है .न प्यारी बेटिया .,

एक आह देकर ही फिर छोड़ जात्ती है .न प्यारी बेटिया .


बहुत सपने सजाते है .न हर माँ -बाप बेटियों के लिए ,

दुआ करती हूँ सदा खुश रहे सबकी प्यारी बेटिया .

Thursday, July 1, 2010


"यह दुनिया की रीत सदा से चली है आई .
बेटी पराया धन , कल किसी और के घर जाई .
.मोह न लगा बाबुल आपनी बेटिया से इतना …
जाई आँगन छोड़ , और कल तुम्हे रुला कर जाई .
तना कहे के ठुठा है जिया देख जाई . .
छोड़ के तुमरे आँगन कही और घर बसाने जाई ..
हंश के विदा किया , आशीर्वाद दीया लाडली को ..
ताकि आगे ऊहर ज़िन्दगी खुसीयू से भर जाई . .!!
और मोह ना लगा बेतिया से इतना तू बाबुल . .
रघुकुल से ही यह रीत है सदा चली आई
बेटी पराया धन , कल किसी और के घर जाई .||"

माँ की आन, घर की शान,



पिता का गर्व, भाई का मान।


कोयल का गीत, सदियों की रीत।


होती हैं बेटियाँ ~~~


कलियों सी नाज़ुक, फूलों सी कोमल।


पानी सी निर्मल, पूर्वाइ सी शीतल।


होती हैं बेटियाँ ~~~


सज़ा कर हाथो पे मेहंदी,


लगा कर माथे पे बिंदियां।


बन किसी की दुल्हन,


छोङ जाती है अपना आंगन।


ये देख के बार बार सोचे मेरा मन।


अपना या पराया धन, होती हैं बेटियां

betiya


बेटिया तो परायी ये बात हर किसी ने दोहरायी
जिस माँ की लाडली उसकी आँखे भर कइयों आयी
जिस आँगन में खेली उसमें अपनी यादे छोड़े आयी

माँ ने रोते हुए कहा बेटी आज से एक नया रिश्ता ने भाने की बारी आयी
एक नया परिवार बसाना, बाबुल तेरी भी आँखे भर आयी
तूने भी यही कहा , बेटिया तो होती हे परायी |

तो हर किसी ने ये बात दोहरायी , बेटिया तो हे परायी ||